Friday, October 16, 2009

ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

सच है के तेरे इन्सान ने यहाँ बड़ी तरक्की की है,
प्रकृति को सता के इसने मौत अपनी पक्की की है॥
इसका सफर जहा में अब यु ही कटता रहेगा,
जिन दो पाटो में पिसेगा वो उसकी ख़ुद की चक्की ही है॥

भयभोर हो जहा में मैया गंगा पुकारती है,
स्वर्ग से इस धारा पे लाया अब कहा वो भागीरथी है॥
अब मौन हो यहाँ पे सब कुछ वो सह रही है,
किस किस के पाप धोये यहाँ सब तो पापी ही है॥

अधर्म इस धारा पे अब कोढ़ हो रहा है,
इंसान और पापी हर और हो रहा है॥
गाँधी, नेहरू, भगत सिंह अब है बिसरी हुई सी यादें,
मेरे देश का हर नेता अब चोर हो रहा है॥

ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

Wednesday, October 14, 2009

इंसानियत

ए खुदा देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

Friday, October 9, 2009

यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक...

एक साया सा बनके वो मेरी जिन्दगी में आया,
समझा न उसको जाना फिर भी दिल से लगाया॥
चाहते, शरारते प्यार और तवज्जो,
क्या न दिया उसको और क्या क्या न पाया॥

स्कूल के बाद वो छुप छुप के उससे मिलना,
कभी मैंने क्लास मिस की कभी उसने करवाया॥
वो प्यार था के कश्म कश अब सोचता हू मै,
ना वो ही समझ पायी न मई ही समझ पाया॥

वो देर रात तक छत से उसको ताकना,
क्यों खिड़की पे उसके बाप ने काला शीशा लगवाया॥
यु छोटी छोटी बात पे उसका छत पे आ जाना,
क्या वक्त था के धूप में भी कुछ अलग मजा आया॥

वो नौ दिनों तक उसका मेरे लिए भूखे रहना,
क्या बात थी, वो चाहती मैं अब तक न समझ पाया॥
वो देखती मुस्काती, हमसे नजरे भी चुराती थी,
उसकी हर एक बात हर अदा को हमने भी दिल से लगाया॥

था नासमझ मैं या नादान थी वो,
क्यों दिल की बातो को उसने सिर्फ़ इशारों से बताया॥
ना अब वो है ना कोई शक्शियत उसकी,
था तनहा तब भी और अब भी ख़ुद को तनहा पाया॥

यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक,
जैसे पंछी के घोसले का पेड़ हो कटवाया॥
हां प्यार था मुझको वो जिंदगी मेरी,
कभी देख मुझे फुरसत में मैं अब तक न संभल पाया॥