tag:blogger.com,1999:blog-6435922474820738982024-02-08T18:43:34.149+05:30RajeevTripathiसब कुछ सीखा हमने... ना सीखी होशियारी...
सच है दुनिया वालो ..... के हम है अनाड़ी.......Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-43025771059063636222011-08-24T20:26:00.005+05:302011-08-24T20:57:46.088+05:30तुझको क्या दूं.......इस आजादी के दिन मै तुझको क्या दूं
<br />ए मेरे प्यारे वतन
<br />के तेरी राहो में कितने ही
<br />तेरे बन्दे लिए
<br />जान हाजिर हैं...
<br />कुछ सीमा पे तो कुछ सीमा
<br />के अन्दर
<br />कुछ उस हाड गलाती ठंडियो में
<br />जो ठण्ड सोच के
<br />रूह भी अल्लाह को प्यारी हो जाए...
<br />कैसे निडर और अडिग खड़े रहते है
<br />वो तेरे लखते जिगर
<br />उन ठंडी हवाओं के थपेड़ो में
<br />जो सैकड़ो किलो बर्फ में ढकी आती होगी॥
<br />
<br />इधर भी तेरे वीर पुत्र है
<br />जो बैठे है वातानुकूलित कमरो में
<br />बनाते है दुनिया की विधाये
<br />कुछ कागज़ के पन्नो पे
<br />ये भी देशभक्त है पर सिर्फ
<br />गणतंत्र दिवस की परेडो में
<br />और स्वतंत्रता दिवस के दिन
<br />लालकिले पे...
<br />
<br />यहाँ भी तेरे देश भक्त है
<br />और देश का भ्रष्टाचार मिटाने का
<br />माद्द्दा रखते है॥
<br />पर एक देश भक्त दूसरे पर
<br />या तो जांच कमीशन
<br />बैठाता है
<br />या लाठिया बरसाता है
<br />
<br />मुझे इस आजादी का मोल
<br />भी समझ आने लगा है,
<br />पर क्या करू
<br />घर में बिटिया रोएगी
<br />अगर दूध ना मिला तो
<br />आर्थिक स्तिथि बिगड़ जायेगी
<br />अगर मै निकला तो,
<br />ये सब सोचता हू
<br />फिर मन मेरा भी शांत होता है,
<br />यही मेरी आजादी है
<br />इसी से जीवन व्याप्त होता है...
<br />मन तो है
<br />हां मै भी कुछ कर जाऊ ए वतन तेरे लिए
<br />पर इस लोकतंत्र के जो आवाज उठाता है
<br />उसी की जांच होती है,
<br />उसी के खातो की पड़ताल होती है,
<br />उसी का पासपोर्ट नकली होता है,
<br />उसी को लाठिया पड़ती है
<br />और वही देशद्रोही होता है॥
<br />
<br />
<br />
<br />Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-74247227934820631652011-01-18T20:32:00.003+05:302011-02-28T10:34:25.023+05:30बीते पल<span class="">आज बीते मुद्दत के देखा तो बदले बदले से नजर आते है वो,<br />कहते है कुछ पर कहते कहते ही संभल जाते है वो,<br />कोई पूछे के क्या हुआ जो बीते कुछ साल और फकत चार दिन,</span><br /><span class="">यूं </span><span class=""> होके बेपर्दा भी संभले संभले से नजर आते है वो,<br /><br />क्यों ऐसे रुखसत किया के परछाइयां तक भी साथ न मेरे,</span><br /><span class="">दूर मुझसे हो के भी क्यों</span><span class=""> थमे थमे </span>से नजर आते है वो,<br />जब सामने वो रहते है तो क्यों थमता नहीं है दिल मेरा,<br />यु आके झोंके की तरह एक हलचल मचा जाते है वो,<br /><span class=""></span><br /><span class="">यु खामोश बैठा </span>मुझे पूछते है "क्या हुआ"<br /><span class="">सब जानकार भी अनजान खुद </span> को बता जाते है वो,<br /> कर नहीं सकता किसी से अपना हाले दिल बयान,<br /><span class="">और नजरो कर के बयान् मशहूर </span>मुझको किये जाते है वो.....Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-8012154635016012512009-12-09T08:28:00.000+05:302009-12-09T08:29:12.603+05:30मै न समझा मै ना जाना यु उसकी <br />बेवजह मुस्कराने की,<br />देख मुझे ताक मुझे यु बेवजह <br />छुप जाने की..<br /> <br /><br />ये शोकिया, ये बांकपन मेरे लिये पर<br />किसलिए ?? <br />थी न कोई वजह जीने की पर किस लिए <br />हम जी लिए ??<br /> <br />मन में जो था मेरे या उसके फिर क्यों नही <br />वो कह दिया॥<br />बिन कोई वजह फिर क्यों जी रहे <br />है हम ये दुःख लिए..<br /> <br />आज आलम ये है के पवन चली तो <br />आहट हुई॥<br />यु लगा के मेरे दरवाजे फिर <br />कोई आ गया॥<br /> <br />राम सच्चा, रब सच्चा, या खुदा सच्चा <br />है यारो।<br />तुम बताओ क्यों बेवजह ऐसी <br />मेरी हालत हुई..<br /> <br />आज वो जहा भी होगी खुश होगी <br />मेरे खुदा,<br />समझ मेरे आता नही, बिन उसके क्यों <br />न खुश मै रह सका??<br /> <br />प्यार में बलिदान ही सबसे बड़ी <br />गाथा रही...<br />पर वो या मै बलिदान कौन है <br />दे रहा..??<br /> <br />अब ये वजह है के बेवजह की वजह <br />क्यों मै खोजता??<br />अब वो नही इस जीवन में क्यों नही <br />दिल मानता॥<br /> <br />मन है जोगी ए "राजीव" अब तो तन जोगी <br />बन रहा ॥ <br />क्या लाये थे जो खो दिया ये तो <br />हर कोई है जानता॥Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-47104684255881961282009-10-16T08:12:00.006+05:302009-10-28T08:21:29.602+05:30ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,<br />जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥<br /><span class=""></span><br />सच है के तेरे इन्सान ने यहाँ बड़ी तरक्की की है,<br />प्रकृति को सता के इसने मौत अपनी पक्की की है॥<br />इसका सफर जहा में अब यु ही कटता रहेगा,<br />जिन दो पाटो में पिसेगा वो उसकी ख़ुद की चक्की ही है॥<br /><br />भयभोर हो जहा में मैया गंगा पुकारती है,<br />स्वर्ग से इस धारा पे लाया अब कहा वो भागीरथी है॥<br />अब मौन हो यहाँ पे सब कुछ वो सह रही है,<br />किस किस के पाप धोये यहाँ सब तो पापी ही है॥<br /><br />अधर्म इस धारा पे अब कोढ़ हो रहा है,<br />इंसान और पापी हर और हो रहा है॥<br />गाँधी, नेहरू, भगत सिंह अब है बिसरी हुई सी यादें,<br />मेरे देश का हर नेता अब चोर हो रहा है॥<br /><br />ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,<br />जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-40214410170869839172009-10-14T13:03:00.001+05:302009-10-14T13:05:56.840+05:30इंसानियत<span style="font-size:130%;"><strong><span style="color:#6633ff;">ए खुदा देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,</span><br /><span style="color:#6633ff;">जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥</span></strong><br /></span><span style="color:#6633ff;"></span>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-64771918739643487442009-10-09T09:47:00.000+05:302009-10-09T10:02:04.549+05:30यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक...<span style="color:#ff0000;"><strong>एक साया सा बनके वो मेरी जिन्दगी में आया,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>समझा न उसको जाना फिर भी दिल से लगाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>चाहते, शरारते प्यार और तवज्जो,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>क्या न दिया उसको और क्या क्या न पाया॥</strong></span><br /><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>स्कूल के बाद वो छुप छुप के उससे मिलना,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>कभी मैंने क्लास मिस की कभी उसने करवाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>वो प्यार था के कश्म कश अब सोचता <span class="">हू मै</span>,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>ना वो ही समझ पायी न मई ही समझ पाया॥</strong></span><br /><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>वो देर रात तक छत से उसको ताकना,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>क्यों खिड़की पे उसके बाप ने काला शीशा लगवाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>यु छोटी छोटी बात पे उसका छत पे आ जाना,</strong></span><br /><span class=""></span><span style="color:#ff0000;"><strong>क्या वक्त था के धूप में भी कुछ अलग मजा आया॥<br /></strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>वो नौ दिनों तक उसका मेरे लिए भूखे रहना,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>क्या बात थी, वो चाहती मैं अब तक न समझ पाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>वो देखती मुस्काती, हमसे नजरे भी चुराती थी,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>उसकी हर एक बात हर अदा को हमने भी दिल से लगाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong></strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>था नासमझ मैं या नादान थी वो,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>क्यों दिल की बातो को उसने सिर्फ़ इशारों से बताया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>ना अब वो है ना कोई शक्शियत उसकी,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>था तनहा तब भी और अब भी ख़ुद को तनहा पाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong></strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>जैसे पंछी के घोसले का पेड़ हो कटवाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>हां प्यार था मुझको वो जिंदगी मेरी,</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong>कभी देख मुझे फुरसत में मैं अब तक न संभल पाया॥</strong></span><br /><span style="color:#ff0000;"><strong></strong></span>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-70629906209517257902009-09-28T08:22:00.000+05:302009-09-28T08:39:32.312+05:30जिन्दगी...<strong><span style="color:#3333ff;">कर दी जिन्दगी जिसके नाम मैने</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">वो मेरे प्यार को झूठा बताता है॥<br />जो <span class="">मेरी </span><span class="">याद</span> में चंद आंसू भी बहा न सका </span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">वो मुझको अपने आप से रूठा बताता है॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">आ देख तेरी याद में क्या नही सहा मैंने</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">थे लब खामोश और कुछ नही कहा मैंने॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;"><span class="">तेरी आवारगी को चुप खामोश देखता रहा</span><span class=""> यु ही</span></span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">थी बेवफा तू और ख़ुद को बेवफा कहा मैंने॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">अब नही कोई बंदिशे के मौत पास है मेरे</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">है हर रहगुजर चुप के अब न कोई जर्रों जार मुझको॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">था बेक़सूर मैं और है जात मेरी साफ़ , के आजा</span></strong><br /><strong><span style="color:#3333ff;">आँखे बंद नही होती , अब भी तेरा इन्तजार मुझको॥</span></strong>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-52915292936042681252009-09-25T08:23:00.000+05:302009-09-25T08:38:23.851+05:30वादा...<strong><span style="color:#ff0000;">हां कुछ दर्द तो है के बिछड़ गया है वो</span></strong><br /><span class=""></span><strong><span style="color:#ff0000;">जिसने साथ मेरा निभाने का वादा किया है॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">मै इक उम्र से बैठा हु उसी मोड़ पर </span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;"><span class="">जहाँ उस</span> बेवफा ने आने का वादा किया है॥</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#ff0000;">मै जिसे अब तक समझता रहा अपना </span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">उसी ने पीठ पे खंजर घोंपने का वादा किया है॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">जिस आईने के सामने बैठ सवारा उसको</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">उस आईने ने भी टूट जाने का वादा किया है॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">अब क्या जख्म खाऊंगा मै इस दुनिया से </span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">क्या अपनों ने ही जख्म न हमें ज्यादा दिया है??</span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">अब क्या फिक्र करू मै अपनी इस फकत जहाँ में </span></strong><br /><strong><span style="color:#ff0000;">जब तकदीर ने भी रूठ जाने का वादा किया है॥</span></strong><br /><br /><span class=""></span>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-85231187284410186112009-09-24T08:25:00.000+05:302009-09-24T08:29:37.775+05:30उम्र..<strong>ए यार तेरी बात में न वो दम था</strong><br /><span class=""></span><strong>जो तू कह गया शायद वो बहुत कम था॥</strong><br /><strong></strong><br /><strong>के उम्र देखो तो बहुत है जिंदगी खुल के जीयो </strong><br /><span class=""></span><strong>के कल के संकट में आज को न बरबाद करो॥</strong><br /><strong>जिंदगी शम्मा लिए तेरे डर पे खड़ी होगी सही</strong><br /><span class=""></span><strong>जो भूखे सो गए आज जाके उनसे भी बात करो॥</strong><br /><strong></strong><br /><strong>और जिद ना कर ऐसी के तू युही टूट जाएगा</strong><br /><strong>और उनके बिन जीने का मजा भला कहा आएगा॥</strong><br /><strong>और अगर चाहने से ज़माना यु बदल जाता</strong><br /><strong>तो आज राँझा का हीर और शिरीन का फरहाद होता॥</strong><br /><strong></strong>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-61473032548397793872009-09-23T07:55:00.000+05:302009-09-25T08:46:49.776+05:30कारवां...<strong><span style="color:#cc33cc;">कारवां यु बन जाएगा मंजिले अपनी बनाते चलो</span></strong><br /><span class=""></span><strong><span style="color:#cc33cc;">जो पसंद हो रहगुजर तो हमसफ़र तुम बनाते चलो॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">के जिंदगी हरजाई है कट जाएगा जालिम ये समय</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">वक्त कम है ए दोस्त गम ऐ दिल अपना सुनाते चलो॥<br /></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">कुछ तो कम होगा तेरा दर्द ऐ दिल ए हमसफ़र</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">कुछ मैं</span></strong><strong><span style="color:#cc33cc;"> सुनु और कुछ तुम बताते चलो॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">के जिंदगी शफ्फाक है ये न तेरी है न मेरी है</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">जो कुछ वक्त मिल गया खुशिया उसी में लुटाते चलो॥</span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">मत रो चुप दीवारों के सामने ये कहा तुझे सुन पाएंगी</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">के आज भी है तेरा तसव्वुर मेरे आईने के सामने॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">मै कौन और क्या हु जो तुझे कुछ दे पाऊंगा</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">मेरे दिल की आग में अपने गमो को जलाते चलो॥</span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#cc33cc;"></span></strong><br /><br /><strong><span style="color:#cc33cc;"></span></strong>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-6938357848643349382009-09-23T07:52:00.000+05:302009-09-23T07:54:00.062+05:30कारवां<p>कारवां यू <span class="">बन</span> जाएगा मंजिले अपनी बनाते चलो</p><p><span class=""></span>जो पसंद हो रहगुजर तो हमसफ़र तुम यु बनते चलो...</p><p>के जिंदगी हरजाई है कट जाएगा जालिम ये समय...</p><p>वक्त कम है ए दोस्त <span class=""></span>गम ऐ दिल अपना सुनाते चलो..<br /> </p>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-643592247482073898.post-25313526167110028592009-09-21T08:10:00.000+05:302009-09-21T08:13:29.231+05:30दिल में किसी के राह किये जा रहा हूँ मैं...दिल में किसी के राह किये जा रहा हूँ मैं<br />कितना हसीं गुनाह किये जा रहा हूँ मैं<br />दुनिया-ए-दिल तबाह किये जा रहा हूँ मैं<br />सर्फ़-ए-निगाह-ओ-आह किये जा रहा हूँ मैं<br />फ़र्द-ए-अमल सियाह किये जा रहा हूँ मैं<br />रहमत को बेपनाह किये जा रहा हूँ मैं<br />ऐसी भी इक निगाह किये जा रहा हूँ मैं<br />ज़र्रों को मेहर-ओ-माह किये जा रहा हूँ मैं<br />मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़मत को चार चाँद<br />ख़ुद हुस्न को गवाह किये जा रहा हूँ मैं<br />मासूम-ए-जमाल को भी जिस पे रश्क हो<br />ऐसे भी कुछ गुनाह किये जा रहा हूँ मैं<br />आगे क़दम बढ़ायें जिन्हें सूझता नहीं<br />रौशन चिराग़-ए-राह किये जा रहा हूँ मैं<br />तनक़ीद-ए-हुस्न मस्लहत-ए-ख़ास-ए-इश्क़ है<br />ये जुर्म गाह-गाह किये जा रहा हूँ मैं<br />गुलशनपरस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़<br />काँटों से भी निभाह किये जा रहा हूँ मैं<br />यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर<br />जैसे कोई गुनाह किये जा रहा हूँ मैं<br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><strong><span style="color:#cc33cc;">जिसने भी लिखी है बहुत अच्छी है .....</span></strong>Rajeev Tripahihttp://www.blogger.com/profile/10007062146668867607noreply@blogger.com0