इस आजादी के दिन मै तुझको क्या दूं
ए मेरे प्यारे वतन
के तेरी राहो में कितने ही
तेरे बन्दे लिए
जान हाजिर हैं...
कुछ सीमा पे तो कुछ सीमा
के अन्दर
कुछ उस हाड गलाती ठंडियो में
जो ठण्ड सोच के
रूह भी अल्लाह को प्यारी हो जाए...
कैसे निडर और अडिग खड़े रहते है
वो तेरे लखते जिगर
उन ठंडी हवाओं के थपेड़ो में
जो सैकड़ो किलो बर्फ में ढकी आती होगी॥
इधर भी तेरे वीर पुत्र है
जो बैठे है वातानुकूलित कमरो में
बनाते है दुनिया की विधाये
कुछ कागज़ के पन्नो पे
ये भी देशभक्त है पर सिर्फ
गणतंत्र दिवस की परेडो में
और स्वतंत्रता दिवस के दिन
लालकिले पे...
यहाँ भी तेरे देश भक्त है
और देश का भ्रष्टाचार मिटाने का
माद्द्दा रखते है॥
पर एक देश भक्त दूसरे पर
या तो जांच कमीशन
बैठाता है
या लाठिया बरसाता है
मुझे इस आजादी का मोल
भी समझ आने लगा है,
पर क्या करू
घर में बिटिया रोएगी
अगर दूध ना मिला तो
आर्थिक स्तिथि बिगड़ जायेगी
अगर मै निकला तो,
ये सब सोचता हू
फिर मन मेरा भी शांत होता है,
यही मेरी आजादी है
इसी से जीवन व्याप्त होता है...
मन तो है
हां मै भी कुछ कर जाऊ ए वतन तेरे लिए
पर इस लोकतंत्र के जो आवाज उठाता है
उसी की जांच होती है,
उसी के खातो की पड़ताल होती है,
उसी का पासपोर्ट नकली होता है,
उसी को लाठिया पड़ती है
और वही देशद्रोही होता है॥
सब कुछ सीखा हमने... ना सीखी होशियारी... सच है दुनिया वालो ..... के हम है अनाड़ी.......
Wednesday, August 24, 2011
Tuesday, January 18, 2011
बीते पल
आज बीते मुद्दत के देखा तो बदले बदले से नजर आते है वो,
कहते है कुछ पर कहते कहते ही संभल जाते है वो,
कोई पूछे के क्या हुआ जो बीते कुछ साल और फकत चार दिन,
यूं होके बेपर्दा भी संभले संभले से नजर आते है वो,
क्यों ऐसे रुखसत किया के परछाइयां तक भी साथ न मेरे,
दूर मुझसे हो के भी क्यों थमे थमे से नजर आते है वो,
जब सामने वो रहते है तो क्यों थमता नहीं है दिल मेरा,
यु आके झोंके की तरह एक हलचल मचा जाते है वो,
यु खामोश बैठा मुझे पूछते है "क्या हुआ"
सब जानकार भी अनजान खुद को बता जाते है वो,
कर नहीं सकता किसी से अपना हाले दिल बयान,
और नजरो कर के बयान् मशहूर मुझको किये जाते है वो.....
कहते है कुछ पर कहते कहते ही संभल जाते है वो,
कोई पूछे के क्या हुआ जो बीते कुछ साल और फकत चार दिन,
यूं होके बेपर्दा भी संभले संभले से नजर आते है वो,
क्यों ऐसे रुखसत किया के परछाइयां तक भी साथ न मेरे,
दूर मुझसे हो के भी क्यों थमे थमे से नजर आते है वो,
जब सामने वो रहते है तो क्यों थमता नहीं है दिल मेरा,
यु आके झोंके की तरह एक हलचल मचा जाते है वो,
यु खामोश बैठा मुझे पूछते है "क्या हुआ"
सब जानकार भी अनजान खुद को बता जाते है वो,
कर नहीं सकता किसी से अपना हाले दिल बयान,
और नजरो कर के बयान् मशहूर मुझको किये जाते है वो.....
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