Wednesday, August 24, 2011

तुझको क्या दूं.......

इस आजादी के दिन मै तुझको क्या दूं
ए मेरे प्यारे वतन
के तेरी राहो में कितने ही
तेरे बन्दे लिए
जान हाजिर हैं...
कुछ सीमा पे तो कुछ सीमा
के अन्दर
कुछ उस हाड गलाती ठंडियो में
जो ठण्ड सोच के
रूह भी अल्लाह को प्यारी हो जाए...
कैसे निडर और अडिग खड़े रहते है
वो तेरे लखते जिगर
उन ठंडी हवाओं के थपेड़ो में
जो सैकड़ो किलो बर्फ में ढकी आती होगी॥

इधर भी तेरे वीर पुत्र है
जो बैठे है वातानुकूलित कमरो में
बनाते है दुनिया की विधाये
कुछ कागज़ के पन्नो पे
ये भी देशभक्त है पर सिर्फ
गणतंत्र दिवस की परेडो में
और स्वतंत्रता दिवस के दिन
लालकिले पे...

यहाँ भी तेरे देश भक्त है
और देश का भ्रष्टाचार मिटाने का
माद्द्दा रखते है॥
पर एक देश भक्त दूसरे पर
या तो जांच कमीशन
बैठाता है
या लाठिया बरसाता है

मुझे इस आजादी का मोल
भी समझ आने लगा है,
पर क्या करू
घर में बिटिया रोएगी
अगर दूध ना मिला तो
आर्थिक स्तिथि बिगड़ जायेगी
अगर मै निकला तो,
ये सब सोचता हू
फिर मन मेरा भी शांत होता है,
यही मेरी आजादी है
इसी से जीवन व्याप्त होता है...
मन तो है
हां मै भी कुछ कर जाऊ ए वतन तेरे लिए
पर इस लोकतंत्र के जो आवाज उठाता है
उसी की जांच होती है,
उसी के खातो की पड़ताल होती है,
उसी का पासपोर्ट नकली होता है,
उसी को लाठिया पड़ती है
और वही देशद्रोही होता है॥



Tuesday, January 18, 2011

बीते पल

आज बीते मुद्दत के देखा तो बदले बदले से नजर आते है वो,
कहते है कुछ पर कहते कहते ही संभल जाते है वो,
कोई पूछे के क्या हुआ जो बीते कुछ साल और फकत चार दिन,

यूं होके बेपर्दा भी संभले संभले से नजर आते है वो,

क्यों ऐसे रुखसत किया के परछाइयां तक भी साथ न मेरे,

दूर मुझसे हो के भी क्यों थमे थमे से नजर आते है वो,
जब सामने वो रहते है तो क्यों थमता नहीं है दिल मेरा,
यु आके झोंके की तरह एक हलचल मचा जाते है वो,

यु खामोश बैठा मुझे पूछते है "क्या हुआ"
सब जानकार भी अनजान खुद को बता जाते है वो,
कर नहीं सकता किसी से अपना हाले दिल बयान,
और नजरो कर के बयान् मशहूर मुझको किये जाते है वो.....

Wednesday, December 9, 2009

मै न समझा मै ना जाना यु उसकी
बेवजह मुस्कराने की,
देख मुझे ताक मुझे यु बेवजह
छुप जाने की..


ये शोकिया, ये बांकपन मेरे लिये पर
किसलिए ??
थी न कोई वजह जीने की पर किस लिए
हम जी लिए ??

मन में जो था मेरे या उसके फिर क्यों नही
वो कह दिया॥
बिन कोई वजह फिर क्यों जी रहे
है हम ये दुःख लिए..

आज आलम ये है के पवन चली तो
आहट हुई॥
यु लगा के मेरे दरवाजे फिर
कोई आ गया॥

राम सच्चा, रब सच्चा, या खुदा सच्चा
है यारो।
तुम बताओ क्यों बेवजह ऐसी
मेरी हालत हुई..

आज वो जहा भी होगी खुश होगी
मेरे खुदा,
समझ मेरे आता नही, बिन उसके क्यों
न खुश मै रह सका??

प्यार में बलिदान ही सबसे बड़ी
गाथा रही...
पर वो या मै बलिदान कौन है
दे रहा..??

अब ये वजह है के बेवजह की वजह
क्यों मै खोजता??
अब वो नही इस जीवन में क्यों नही
दिल मानता॥

मन है जोगी ए "राजीव" अब तो तन जोगी
बन रहा ॥
क्या लाये थे जो खो दिया ये तो
हर कोई है जानता॥

Friday, October 16, 2009

ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

सच है के तेरे इन्सान ने यहाँ बड़ी तरक्की की है,
प्रकृति को सता के इसने मौत अपनी पक्की की है॥
इसका सफर जहा में अब यु ही कटता रहेगा,
जिन दो पाटो में पिसेगा वो उसकी ख़ुद की चक्की ही है॥

भयभोर हो जहा में मैया गंगा पुकारती है,
स्वर्ग से इस धारा पे लाया अब कहा वो भागीरथी है॥
अब मौन हो यहाँ पे सब कुछ वो सह रही है,
किस किस के पाप धोये यहाँ सब तो पापी ही है॥

अधर्म इस धारा पे अब कोढ़ हो रहा है,
इंसान और पापी हर और हो रहा है॥
गाँधी, नेहरू, भगत सिंह अब है बिसरी हुई सी यादें,
मेरे देश का हर नेता अब चोर हो रहा है॥

ए खुदा आ देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

Wednesday, October 14, 2009

इंसानियत

ए खुदा देख तेरे स्वर्ग पे किसकी बुरी नजर लगी है,
जो इंसानियत डुबाये वो तेरा ही आदमी है॥

Friday, October 9, 2009

यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक...

एक साया सा बनके वो मेरी जिन्दगी में आया,
समझा न उसको जाना फिर भी दिल से लगाया॥
चाहते, शरारते प्यार और तवज्जो,
क्या न दिया उसको और क्या क्या न पाया॥

स्कूल के बाद वो छुप छुप के उससे मिलना,
कभी मैंने क्लास मिस की कभी उसने करवाया॥
वो प्यार था के कश्म कश अब सोचता हू मै,
ना वो ही समझ पायी न मई ही समझ पाया॥

वो देर रात तक छत से उसको ताकना,
क्यों खिड़की पे उसके बाप ने काला शीशा लगवाया॥
यु छोटी छोटी बात पे उसका छत पे आ जाना,
क्या वक्त था के धूप में भी कुछ अलग मजा आया॥

वो नौ दिनों तक उसका मेरे लिए भूखे रहना,
क्या बात थी, वो चाहती मैं अब तक न समझ पाया॥
वो देखती मुस्काती, हमसे नजरे भी चुराती थी,
उसकी हर एक बात हर अदा को हमने भी दिल से लगाया॥

था नासमझ मैं या नादान थी वो,
क्यों दिल की बातो को उसने सिर्फ़ इशारों से बताया॥
ना अब वो है ना कोई शक्शियत उसकी,
था तनहा तब भी और अब भी ख़ुद को तनहा पाया॥

यु चला तूफ़ान मेरी जिंदगी की तह तक,
जैसे पंछी के घोसले का पेड़ हो कटवाया॥
हां प्यार था मुझको वो जिंदगी मेरी,
कभी देख मुझे फुरसत में मैं अब तक न संभल पाया॥

Monday, September 28, 2009

जिन्दगी...

कर दी जिन्दगी जिसके नाम मैने
वो मेरे प्यार को झूठा बताता है॥
जो मेरी याद में चंद आंसू भी बहा न सका

वो मुझको अपने आप से रूठा बताता है॥

आ देख तेरी याद में क्या नही सहा मैंने
थे लब खामोश और कुछ नही कहा मैंने॥
तेरी आवारगी को चुप खामोश देखता रहा यु ही
थी बेवफा तू और ख़ुद को बेवफा कहा मैंने॥

अब नही कोई बंदिशे के मौत पास है मेरे
है हर रहगुजर चुप के अब न कोई जर्रों जार मुझको॥
था बेक़सूर मैं और है जात मेरी साफ़ , के आजा
आँखे बंद नही होती , अब भी तेरा इन्तजार मुझको॥