Friday, September 25, 2009

वादा...

हां कुछ दर्द तो है के बिछड़ गया है वो
जिसने साथ मेरा निभाने का वादा किया है॥
मै इक उम्र से बैठा हु उसी मोड़ पर
जहाँ उस बेवफा ने आने का वादा किया है॥

मै जिसे अब तक समझता रहा अपना
उसी ने पीठ पे खंजर घोंपने का वादा किया है॥
जिस आईने के सामने बैठ सवारा उसको
उस आईने ने भी टूट जाने का वादा किया है॥

अब क्या जख्म खाऊंगा मै इस दुनिया से
क्या अपनों ने ही जख्म न हमें ज्यादा दिया है??
अब क्या फिक्र करू मै अपनी इस फकत जहाँ में
जब तकदीर ने भी रूठ जाने का वादा किया है॥

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