Wednesday, September 23, 2009

कारवां...

कारवां यु बन जाएगा मंजिले अपनी बनाते चलो
जो पसंद हो रहगुजर तो हमसफ़र तुम बनाते चलो॥
के जिंदगी हरजाई है कट जाएगा जालिम ये समय
वक्त कम है ए दोस्त गम ऐ दिल अपना सुनाते चलो॥

कुछ तो कम होगा तेरा दर्द ऐ दिल ए हमसफ़र
कुछ मैं सुनु और कुछ तुम बताते चलो॥
के जिंदगी शफ्फाक है ये न तेरी है न मेरी है
जो कुछ वक्त मिल गया खुशिया उसी में लुटाते चलो॥

मत रो चुप दीवारों के सामने ये कहा तुझे सुन पाएंगी
के आज भी है तेरा तसव्वुर मेरे आईने के सामने॥
मै कौन और क्या हु जो तुझे कुछ दे पाऊंगा
मेरे दिल की आग में अपने गमो को जलाते चलो॥



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